लक्ष्मी आरती: जानिए भगवान विष्णु और लक्ष्मी के पावन संबंध के रहस्य - Laxmi Arti Lyrics - Jay Lakshmee Maata - Sabhi Bhagwan Ki Arti



SABHI BHAGWAN KI ARTI

धर्म और भक्ति के क्षेत्र में भगवान विष्णु और लक्ष्मी के पावन संबंधों का महत्व अत्यधिक है। भगवान विष्णु को सृष्टिकर्ता और पालक माना जाता है, जबकि लक्ष्मी देवी को धन, समृद्धि, और आदर्श पतिव्रता के रूप में पूजा जाता है। इस ब्लॉग में, हम आपको लक्ष्मी आरती के माध्यम से इन दोनों दिव्य संतानों के पावन संबंधों के रहस्य के बारे में जानकारी देंगे। इसके अलावा, हम जानेंगे कि लक्ष्मी-विष्णु का विवाह कथा क्या है और कैसे लक्ष्मी देवी ने भगवान विष्णु को पाया।


लक्ष्मी आरती: भगवान विष्णु और लक्ष्मी के महत्व :

 

लक्ष्मी आरती भगवान विष्णु और लक्ष्मी देवी की पूजा का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे हरिभक्त रोज़ाना करते हैं। यह आरती उनके पावन संबंधों को गाने और मन में उनकी आराधना करने का एक माध्यम है। विष्णु और लक्ष्मी के संबंध विशेष रूप से भारतीय साहित्य और पौराणिक कथाओं में उच्च माने जाते हैं।


लक्ष्मी आरती :


जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥



जय लक्ष्मी माता...


उमा रमा ब्रह्माणी, तुम ही जग माता।

सूर्य चंद्रमा ध्वजावंती, नारद ऋषि गाता॥


जय लक्ष्मी माता...


दुर्गा रूप निरंजनि, सुख सम्पत्ति दाता।

जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि सद गाता॥


जय लक्ष्मी माता...


तुम पाताल निवासिनि, तुम ही शुभदाता।

कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनि, भवनुते तुम सदा॥


जय लक्ष्मी माता...


जिस घर में तुम रहती, सब सद्गुण आता।

सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥


जय लक्ष्मी माता...


तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।

खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥


जय लक्ष्मी माता...


शुभ गुण मंगलदायिनि, जननि जन्म हरणि।

भूष्ट भवानि तुम, सबके जन आधारणि॥


जय लक्ष्मी माता...


तुम ही हो धन्य दायिनि, तुम ही हो भरती।

तुम ही हो माता, तुम ही हो पिता॥


जय लक्ष्मी माता...


तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।

खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥


जय लक्ष्मी माता...


शुभ गुण मंगलदायिनि, जननि जन्म हरणि।

भूष्ट भवानि तुम, सबके जन आधारणि॥


जय लक्ष्मी माता...


तुम ही हो धन्य दायिनि, तुम ही हो भरती।

तुम ही हो माता, तुम ही हो पिता॥


जय लक्ष्मी माता...


जिस घर में तुम रहती, सब सद्गुण आता।

सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥


जय लक्ष्मी माता...


तुम पाताल निवासिनि, तुम ही शुभदाता।

कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनि, भवनुते तुम सदा॥


जय लक्ष्मी माता...


जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि सद गाता॥

दुर्गा रूप निरंजनि, सुख सम्पत्ति दाता।

जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि सद गाता॥


जय लक्ष्मी माता॥


लक्ष्मी-विष्णु का विवाह कथा :


लक्ष्मी-विष्णु का विवाह कथा एक पौराणिक कथा के रूप में प्रसिद्ध है, और यह कथा भगवान विष्णु और लक्ष्मी देवी के पवित्र विवाह का वर्णन करती है।

कथा के अनुसार, एक समय समुद्र का राजा हुआ करता था, और उसकी बेटी लक्ष्मी देवी थीं। लक्ष्मी देवी बड़ी हुईं तो वे भगवान विष्णु के गुणों का वर्णन सुनकर उनमें आकर्षित हो गईं। उन्होंने तय किया कि वे केवल उसी के साथ ही विवाह करेंगी। इसके बाद, लक्ष्मी देवी तपस्या करने के लिए समुद्र के किनारे पर चली गईं।


लक्ष्मी देवी की तपस्या : 


लक्ष्मी देवी ने समुद्र के किनारे पर तपस्या करने का आलंब लिया। वह अन्न और पानी से वंचित रहकर केवल फलों और पत्तियों का आहार ग्रहण करती थी। उनकी तपस्या में सालों बीत गए, लेकिन वे कभी अपने लक्ष्य से डरने का नाम नहीं लिया।


भगवान विष्णु के साथ विवाह : 


लक्ष्मी देवी की तपस्या और उनके पूर्व जन्म के पुण्य के फलस्वरूप, भगवान विष्णु ने उनके पास आकर विवाह के लिए आग्रह किया। इसके बाद, लक्ष्मी देवी और भगवान विष्णु के बीच एक आलौकिक विवाह सम्पन्न हुआ, जो देवताओं के बीच अत्यधिक शोभायमान था।

इस विवाह के बाद, लक्ष्मी देवी भगवान विष्णु के साथ वैकुंठ धाम, देवों का आलौकिक लोक, चली गईं, जहां वे सदैव उनके साथ रहती हैं और उनकी सेवा करती हैं।


लक्ष्मी देवी के महत्व : 


लक्ष्मी देवी को धन, समृद्धि, और सौभाग्य की देवी माना जाता है। वे भगवान विष्णु की सहधर्मिणी हैं और सदैव उनके साथ रहती हैं। उनकी कृपा से ही एक व्यक्ति के जीवन में समृद्धि और सुख-शांति आती है।

लक्ष्मी देवी की पूजा के द्वारका में विशेष मंदिर हैं, जो भक्तों के बीच प्रसिद्ध हैं। लक्ष्मी आरती और मंत्रों का पाठ उनकी प्रसन्नता को प्राप्त करने के लिए किया जाता है।


लक्ष्मी देवी के मंदिर :


भारत में लक्ष्मी देवी के कई मंदिर हैं। यहां कुछ प्रसिद्ध मंदिरों की सूची दी गई है :


तिरुपति बालाजी मंदिर, आंध्र प्रदेश: यह मंदिर भगवान विष्णु और लक्ष्मी देवी को समर्पित है। यह भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।

श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर, तिरुवनंतपुरम, केरल: यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। लक्ष्मी देवी को यहां भगवान विष्णु की पत्नी के रूप में पूजा जाता है।

श्री कृष्ण मंदिर, मथुरा, उत्तर प्रदेश: यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है। लक्ष्मी देवी को यहां भगवान कृष्ण की पत्नी के रूप में पूजा जाता है।

श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर, लखनऊ, उत्तर प्रदेश: यह मंदिर भगवान विष्णु और लक्ष्मी देवी को समर्पित है।

श्री महालक्ष्मी मंदिर, कोल्हापुर, महाराष्ट्र: यह मंदिर लक्ष्मी देवी को समर्पित है। यह भारत के सबसे प्रसिद्ध लक्ष्मी मंदिरों में से एक है।

श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर, मुंबई, महाराष्ट्र: यह मंदिर भगवान विष्णु और लक्ष्मी देवी को समर्पित है।

श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर, दिल्ली: यह मंदिर भगवान विष्णु और लक्ष्मी देवी को समर्पित है।

श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर, चेन्नई, तमिलनाडु: यह मंदिर भगवान विष्णु और लक्ष्मी देवी को समर्पित है।

इनके अलावा, भारत में कई अन्य छोटे-छोटे मंदिर हैं जो लक्ष्मी देवी को समर्पित हैं।


2024 में लक्ष्मी पूजा तारीख :


2024 में लक्ष्मी पूजा 17 अक्टूबर को है। लक्ष्मी पूजा हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को मनाई जाती है। इस साल अमावस्या तिथि 16 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 27 मिनट से प्रारंभ होगी, जो कि 17 अक्टूबर को शाम 4 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी। लक्ष्मी पूजन की अवधि 1 घंटा 23 मिनट की है।


लक्ष्मी पूजा की सामग्री :

लक्ष्मी पूजा के लिए आपको निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होगी:

1. लक्ष्मी देवी की मूर्ति या तस्वीर,

2. लाल कपड़ा,

3. फूल,

4. धूप,

5. दीप,

6. प्रसाद


लक्ष्मी पूजा की विधि:


लक्ष्मी पूजा करने के लिए, निम्नलिखित चरणों का पालन करें:

अपने घर को साफ-सुथरा करें।

लक्ष्मी देवी की मूर्ति या तस्वीर को लाल कपड़े पर रखें।

फूलों से लक्ष्मी देवी की मूर्ति या तस्वीर को सजाएं।

धूप और दीप जलाएं।

लक्ष्मी देवी की आरती करें।

लक्ष्मी देवी के मंत्रों का जाप करें।

लक्ष्मी देवी को प्रसाद चढ़ाएं।

लक्ष्मी पूजा के बाद

लक्ष्मी पूजा के बाद, आप लक्ष्मी देवी की मूर्ति या तस्वीर को अपने घर के मंदिर में रख सकते हैं। आप लक्ष्मी देवी की मूर्ति या तस्वीर को रोजाना प्रणाम कर सकते हैं।


लक्ष्मी देवी के मंत्र:


1. श्री महालक्ष्मी मंत्र: 

“ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः।”

2. लक्ष्मी अस्तक्षर मंत्र: 

“ॐ अदित्ययै विद्महे दीप्तिं वर्ष्मि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्।”


समापन : 


इस ब्लॉग के माध्यम से, हमने आपको लक्ष्मी आरती के माध्यम से भगवान विष्णु और लक्ष्मी देवी के पावन संबंधों के रहस्य के बारे में जानकारी दी है। इन दोनों दिव्य जीवों के प्रेम और उनके विवाह की कथा हमारे जीवन में पवित्रता और समृद्धि की प्रतीक है। लक्ष्मी देवी की पूजा हमारे जीवन को सुखमय और समृद्धि से भर देती है, और वह धन्य होते हैं जो उनके आदर्शों का पालन करते हैं। इसलिए, लक्ष्मी आरती के माध्यम से हम भगवान विष्णु और लक्ष्मी देवी की आराधना करते हैं और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करते हैं, जो हमारे जीवन को सुखमय और समृद्धि से भर देते हैं।


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प्रश्न और उत्तर:


प्रश्न 1: माता लक्ष्मी कौन हैं?

उत्तर: माता लक्ष्मी धन, समृद्धि और सौभाग्य की देवी हैं। वे भगवान विष्णु की पत्नी हैं। माता लक्ष्मी को कमल के फूल पर बैठी हुई, चार भुजाओं वाली देवी के रूप में चित्रित किया जाता है। उनकी चार भुजाओं में कमल का फूल, धनुष, धनुष और माला है। माता लक्ष्मी को लाल रंग से जोड़ा जाता है।


प्रश्न 2: माता लक्ष्मी को क्यों पूजा जाता है?

उत्तर: माता लक्ष्मी को धन, समृद्धि और सौभाग्य की देवी के रूप में पूजा जाता है। लोग माता लक्ष्मी से अपने जीवन में धन, समृद्धि और सौभाग्य की कामना करते हैं।


प्रश्न 3: माता लक्ष्मी की पूजा कैसे की जाती है?

उत्तर: माता लक्ष्मी की पूजा आमतौर पर कार्तिक मास की अमावस्या को की जाती है। लक्ष्मी पूजा के लिए, लोग अपने घरों को साफ-सुथरा करते हैं और लक्ष्मी देवी की मूर्ति या तस्वीर को सजाते हैं। वे लक्ष्मी देवी को लाल रंग की चीजें, जैसे कि लाल फूल, लाल मिठाई, या लाल कपड़े चढ़ाते हैं। लक्ष्मी देवी की आरती और मंत्रों का जाप भी किया जाता है।


प्रश्न 4: माता लक्ष्मी के प्रमुख मंत्र कौन से हैं?

उत्तर: माता लक्ष्मी के प्रमुख मंत्र निम्नलिखित हैं:

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं नमः

ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः

ॐ महालक्ष्म्यै नमः


प्रश्न 5: माता लक्ष्मी की पूजा करने से क्या लाभ होता है?

उत्तर: माता लक्ष्मी की पूजा करने से लोगों को धन, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। माता लक्ष्मी का आशीर्वाद होने से लोगों के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।

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