गणेश जी की आरती का सार उजागर - Ganesh Ji ki Arti Ka Saar Ujaagar - Sabhi Bhagwan Ki Arti

जय गणेश

धरती पर सृजन का उत्सव होते हुए हमारी संस्कृति ने बिना विरासत के कोई भी कार्य अधूरा छोड़ा नहीं। धार्मिक अनुष्ठान एवं भक्ति आराधना के क्षेत्र में विशेष रूप से गणेश जी की आरती का आधार हमारी पारम्परिक संस्कृति रहा है। यह आरती ध्वनि और संगीत के द्वारा भगवान गणेश की महिमा को सुनिश्चित करती है और हमें उनके प्रति अपार श्रद्धा और भक्ति का अनुभव कराती है। इस ब्लॉग में, हम देखेंगे कि "दिव्य ताल: गणेश जी की आरती के सार की पर्दाफाश"।

१. गणेश जी की आरती: एक धार्मिक अनुष्ठान(Ganesh Ji Ki Aarti: Ek Dharmik Anushthan):


धार्मिक तत्वों की प्राथमिकता हमारे देश में अद्भुत रूप से मानी जाती है। विशेष रूप से भारतीय संस्कृति में गणेश जी को उत्पादकारण का देवता माना जाता है। उन्हें विघ्नहर्ता और बुद्धिदाता के रूप में पुजा जाता है। इसके अलावा, गणेश जी की आरती भी उन्हें प्रसन्न करने और सभी कार्यों को सिद्ध करने में सहायक होती है।

गणेश जी की आरती(Ganesh Ji Ki Aarti):


जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥


एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी।

माथे पे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥


पान चढ़े, फूल चढ़े, और चढ़े मेवा।

लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥


जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा॥


अंधन को आंख देत कोढ़िन को काया।

बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥


जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा॥


पानचा फूलचा गोडवा सोनाचा।

कळ्याणी घेउनीच पाहिजे आषाढाचा॥


जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा॥


अणूपम पुंडरीक वदना।

वक्रतुंड महाकाया सूर्यकोटि समप्रभा॥


निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥


जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा॥


सुंदर विग्रह मोरती श्रीगजानना।

योगिस्वर काएजवें धन धान्यना॥


जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा॥


ॐ जय शिव ओंकारा।

प्रभुजी एक अविनाशी॥


बिनती करूं सदा बुद्धि रखो।

शारदा भरो माता॥


जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा॥


गणेश जी की आरती संग्रह करने के लिए यहां जाएं: गणेश जी की आरती


२. आरती के गीत: स्वर्गीय अनुभव की सौंदर्यपूर्ण झलक(
Aarti Ke Geet: Svargeey Anubhav Ki Saundaryapurn Jhalak):


गणेश जी की आरती के गीत एक दिव्य अनुभव की सौंदर्यपूर्ण झलक प्रस्तुत करते हैं। यहां प्रयुक्त संगीत और भजनों के स्वरों में भगवान की महिमा को बयां किया जाता है। इन गीतों की मधुरता और ध्वनि की माधुर्य ने हमारे अन्तरात्मा को शांति प्रदान करते हैं और हमें एक ऊँचे स्तर पर भगवान के साथ जुड़ते हैं।


३. गणेश जी की आरती के महत्वपूर्ण श्लोक(Ganesh Ji Ki Aarti Ke Mahatvapurn Shlok):


गणेश जी की आरती में प्रयुक्त श्लोकों का विशेष महत्व है। ये श्लोक भक्तों के द्वारा गणेश जी के गुणों की स्तुति के लिए एक अनूठा माध्यम प्रदान करते हैं। इन श्लोकों में उनके स्वर्गीय स्वरूप, उनकी दिव्य संपत्ति, विद्या, बुद्धि, और उनके दिव्य शक्तियों की स्तुति की गई है।


४. आरती में शामिल भजनों का महत्व(
Aarati Mein Shamil Bhajanon Ka Mahatva):


गणेश जी की आरती में अनेक भजन और ध्वनियों का समावेश किया जाता है। इन भजनों का महत्वपूर्ण योगदान आरती के सार्थकता में होता है। ये भजन भक्तों को भगवान की स्मृति में लाते हैं और उन्हें उनके दिव्य गुणों का समावेश करने में मदद करते हैं।


५. गणेश जी की आरती का पारंपरिक महत्व(Ganesh Ki Aarti Ka Paramparik Mahatva):


गणेश जी की आरती का पारंपरिक महत्व हमारे धार्मिक जीवन में अध्यात्मिक ताकत के साथ जुड़ा हुआ है। यह आरती हमें ध्यान में लाने, मन को शांत करने, और उच्चतम भाव में भगवान की भक्ति करने के लिए प्रेरित करती है। गणेश जी की आरती के माध्यम से हम उन्हें समर्पित होते हैं और उनकी कृपा को प्राप्त करते हैं।


गणेश जी की आरती संग्रह करने के लिए यहां जाएं: गणेश जी की आरती


समाप्ति(Ending):


इस ब्लॉग में हमने "दिव्य ताल: गणेश जी की आरती के सार की पर्दाफाश" के विषय में चर्चा की है। गणेश जी की आरती एक ऐसा धार्मिक अनुष्ठान है जो हमें भगवान के साथ जुड़ने, उनके दिव्य गुणों का अनुभव करने, और अध्यात्मिक तत्वों के प्रति भक्ति और श्रद्धा का आनंद देता है। इस आरती के गीत, श्लोक, और भजनों का महत्व अपार है जो भक्तों को भगवान के साथ एक अनूठा संबंध स्थापित करने में मदद करते हैं। इसलिए, गणेश जी की आरती के दिव्य ताल का अनुभव करें और भगवान की कृपा का आनंद उठाएं।


Post a Comment

0 Comments